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व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> NLP कल्पतरु

NLP कल्पतरु

डॉ. पवन शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2024
पृष्ठ :240
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16915
आईएसबीएन :9781613017760

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व्यावहारिक मार्गदर्शिका

NLP कल्पतरु

 

आज मनुष्य मंगल ग्रह पर भी पहुँच गया है और आगे न जाने क्या-क्या करने की राह पर है। आदिम युग से आज के मंगल ग्रह तक पहुँचने तक के सफर में मनुष्य ने अनगिनत मुकाम हासिल किए हैं, जो मानव जीवन को उत्कृष्ट बनाने में योगदान देते रहते हैं। इन सब उपलब्धियों से मनुष्य हमेशा यह साबित करता आया है कि वह इस ब्रह्मांड की सबसे सफल और सर्वोच्च कृति है। मनुष्य सभी प्राणियों मैं सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, और है भी। मनुष्य ने नित नए नए आयाम बनाकर हमेशा मानव जाति को गौरवांवित किया है। ब्रह्मांड के सभी प्राणी मानव जीवन पाने की ख्वाहिश रखते है। मनुष्य ने प्रकृति और ब्रह्मांड के अनेक रहस्यों को सुलझाया है और अभी भी कई रहस्यों से पर्दा उठाने के पथ पर अग्रसर है। आखिर ये सब कुछ कैसे हो रहा है, सभी प्राणियों में मनुष्य पर ही इतना सब कुछ निर्भर क्यों है?

दुनिया के सभी प्राणियों में मनुष्य शारीरिक रूप से बहुत कमजोर है। वह न तो चिड़िया की तरह उड़ सकता है, न तेंदुए की तरह तेज दौड़ सकता है, न मछली की तरह तैर सकता है, न ही चींटी की तरह अपने वजन से कई गुना भार उठा कर असानी से चल सकता है। मनुष्य की आँख चील की तरह तेज नहीं होती। ये छोटे से कीड़े के काटने से मर सकता है। शारीरिक तौर पर मनुष्य बेहद लाचार और असुरक्षित होता है।

लेकिन कुदरत बहुत समझदार और दयालु है। उसने मनुष्य को सबसे बड़ा तोहफा दिया है, वह है सोचने और कल्पना करने की शक्ति। और ये शक्ति है मनुष्य के मष्तिष्क में। इस शक्ति से मनुष्य कुछ भी करने में सक्षम है और इसकी सहायता से मनुष्य अपना माहौल स्वयं बनाता है, जबकि अन्य प्राणियों को माहौल के मुताबिक ढलना पड़ता है। इस कल्पना-शक्ति की वज़ह से ही मनुष्य आज उस मुकाम पर पहुँच गया है, जहाँ से वह ब्रह्मांड की हर अद्भुत कृति तक अपनी पहुँच बना पा रहा है। आज मनुष्य ने अपनी कल्पना शक्ति से वे साधन बनाये जिनसे वह उड़ सकता है, ध्वनि की रफ्तार से सफर कर सकता है, समुद्र की अथाह गहराईयों में तैर सकता है, अपने से कई गुना वजन आसानी से उठा सकता है, अपने घर पर बैठे सुदूर अंतरिक्ष में होने वाली हलचल पर नजर रख सकता है। आज कई खतरनाक विष का इलाज मनुष्य के पास उपलब्ध है, जिससे कई इंसानों और अन्य प्राणियों का इलाज करके उनके जीवन को बचाया जा सकता है।

ये सारी उपलब्धियाँ एक चमत्कार के जैसी लगती हैं। वास्तव में, ये वे चमत्कार हैं, जो मानव ने अपने मष्तिष्क की कल्पना शक्ति से साकार किए हैं। ऐसा वह सदियों से करता आया है। हर बार, जब जब मनुष्य को अपने उत्थान और समृद्धि की आवश्यकता हुई है, मनुष्य की कल्पना शक्ति ने पारिस्थितियों को अपने अनुकूल बना कर उन्हें साकार किया है। ये वो शक्ति है जो प्रकृति से हर मनुष्य को जन्म से ही मिलती है। दुख इस बात का है कि कुदरत के इस अनमोल तोहफे का इस्तेमाल बहुत ही कम लोग कर पाते हैं।

सदियों से हम मनुष्य की कल्पना को हकीकत में साकार करने वाले कल्पतरु की कथायें सुनते आ रहे हैं, यह एक ऐसा वृक्ष होता है जिसके नीचे बैठकर कोई भी मनुष्य जो कल्पना करता है या इच्छा करता है, वह सच होकर उसके जीवन में घटित हो जाती है। इन कथाओं को सुन कर हम यही सोचने लगते हैं कि काश! हमें भी ऐसा ही कोई कल्पतरु मिल जाये तो अपने जीवन की सारी जरूरतें और सारी इच्छायें उससे पूरी करवा लेते।

लेकिन इस मामले में हम मनुष्य ठीक उस कस्तूरी मृग की तरह हर कहीं, यहाँ वहाँ भागते रहते हैं, जो जंगल में दूर दूर तक कस्तूरी की महक का पीछा करते हुए भागता रहता है और ये नहीं समझ पाता है कि कस्तूरी तो उसकी नाभि में ही बसती है। उसी तरह हम मनुष्य अपने मस्तिष्क की शक्ति को न समझ, न जान कर, बाहरी छलावे के पीछे बिना कुछ सोचे समझे भाग-भाग कर अपना जीवन व्यर्थ कर देते हैं। जो मनुष्य यह ज्ञान पा लेते हैं, और इस पर अटूट विश्वास रखकर अपने मस्तिष्क के सुझाए मार्ग पर बिना शंका और पूरी सहमति के साथ चलते हैं, वे सफल होकर, अपने जीवन को सही मायने दे कर, लाखों, करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन जाते हैं, आदर्श बन जाते हैं। हम सभी जितने भी सफल और महान लोगों के बारे में जानते हैं, उन्होंने अपने मस्तिष्क की इस अद्भुत शक्ति को समझा और उसका लाभ लिया।

इस पुस्तक के माध्यम से हमने वही ज्ञान और समझ आप तक पहुँचाने का प्रयास किया है, जिसके प्रयोग से आप अपने जीवन को असीम ऊँचाइयों तक ले जाने, अपने शरीर को निरोगी, स्वस्थ व स्फूर्ति से भरने, और अपने मानसिक स्वास्थ्य का लाभ लेने में मदद पायेंगे।

"हम ये नहीं जानते, कि हम क्या नहीं जानते! हम ये नहीं जानते कि हम कितना नहीं जानते हैं!!"

“We don't know, what we don't know! We don't know, how much we don't know!!“

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